पेड़ से ही तो' जिंदगानी है। आब से ही मिली रवानी है।। धूप उतरी चमन खिला सुंदर बागबाँ क पेड़ से ही तो' जिंदगानी है। आब से ही मिली रवानी है।। धूप उतरी चमन खिला सुंद...
वो बिखरी ज़ुल्फों में लिपटी सुबह की अंगड़ाई तेरी.... वो बिखरी ज़ुल्फों में लिपटी सुबह की अंगड़ाई तेरी....
तू तो है कलम छबीली और में नौसिखिया अलबेली। तू तो है कलम छबीली और में नौसिखिया अलबेली।
आंखें तुम्हारी बोल रही हैं, एक अजब सी बोली। आंखें तुम्हारी बोल रही हैं, एक अजब सी बोली।
चाँद की छाती बने आसमां की पाटी पर घोटेंगी प्रीत के पहाड़े, चाँद की छाती बने आसमां की पाटी पर घोटेंगी प्रीत के पहाड़े,
बिन फेरे हम तेरे। बिन फेरे हम तेरे।